मंगलवार, अक्टूबर 02, 2007

This was my very first poem and it's more about dilemmas in life।I love this poem and i always ponder before writing ki kya likhun !! yahi hota hai shayad jab bhi likhne baithta hun .Log kehte hain aap kavita nahi likhte ,kavita apko likhti hai ,aur jab kavita ko kagaz pe barasana hota hai to wo ye nahi dekhtii ki apke pass koi vishay(subject) hai ki nahi ,wo to bus aa jatii hai!!
कहते हैं आप कविता नही लिखते कविता आपको लिखती है,जब उसको आना होता है तो वो ये नही देखती की आपके पास विषय है या नही ,वो तो बस आ जाती है पता नही मैंने इस कविता ने मुझे और मैंने इस कविता को कितना लिखा है मेरे लिए फर्क करना मुश्किल है
क्या लिखूँ
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ
कुछ अपनो के ज़ाज़बात लिखू या सपनो की सौगात लिखूँ
मै खिलता सुरज आज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ
वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की सान्स लिखूँ
वो पल मे बीते साल लिखू या सादियो लम्बी रात लिखूँ
मै तुमको अपने पास लिखू या दूरी का ऐहसास लिखूँ
मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँन्खो की मै रात लिखूँ
मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ
बचपन मे बच्चौ से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ
सागर सा गहरा हो जाॐ या अम्बर का विस्तार लिखूँ
वो पहली -पाहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ
सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की बरसात लिखूँ
गीता का अॅजुन हो जाॐ या लकां रावन राम लिखूँ
मै हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस ईन्सान लिखूँ
मै ऎक ही मजहब को जी लुँ या मजहब की आन्खे चार लिखूँ
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ http://www.esakyunhotahai.blogspot.com
kuch jeet likhun ya har likhun ..
ya dil ka sara pyar likhun ......
kuch apno ke zazbat likhun ya sapno ki saugatt likhun ..
wo khilta suraj aaj likhun ya chera chand gulab likhu ,..
wo dubate suraj ko dekhun ya ugte phool ki saans likhun..
main andhe ke din main jhaanku ya ankho ki main rat likhu...
wo pal main beete sal likhun ya sadiyon lambi rat likhun..
meera ki payal ko sun lun ya gautam ki muskan likhun ..
wo pahli pahli pyas likhun ya nishchal pahla pyar likhun ...
sawan ki barish main bhigun ya ankho ki barsat likhun ...
sagar sa gahra hojaun ya amabar ka visar likhun ...
bachpan main baccho se khelu ya jivan ki shalti sham likhun ...
geeta ka arjun ho jaun ya lanka ,ravan, ram likhun....
main hindu,muslim ho jaun ..ya bebas insaan likhun...
main ek hi mazahab ko jii lun ..ya mazahab ki ankhe char likhun ..
kuch jeet likhun ..ya har likhu........

4 टिप्‍पणियां:

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

"???? ?? ????" par to ?????? ?? ???? ?? ??????? ??? ?? ??? ?? ??? ???? ?? kya likhun ?? ?????? 4 ??? ?? ??? ???

Fauziya Reyaz ने कहा…

bahut achhe...padh kar acha laga...

Fauziya Reyaz ने कहा…

गीता का अॅजुन हो जाॐ या लकां रावन राम लिखूँ
मै हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस ईन्सान लिखूँ
मै ऎक ही मजहब को जी लुँ या मजहब की आन्खे चार लिखूँ
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ

bahut khoob...

Raj ने कहा…

ye baut achchi hai...keep it up